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भूलूँ तुम्हें वो बशर नहीं हूँ | शाही शायरी
bhulun tumhein wo bashar nahin hun

ग़ज़ल

भूलूँ तुम्हें वो बशर नहीं हूँ

नसीम देहलवी

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भूलूँ तुम्हें वो बशर नहीं हूँ
इतना भी बे-ख़बर नहीं हूँ

अल्लाह रे फ़र्त-ए-काहिश-ए-तन
हर-चंद कि हूँ मगर नहीं हूँ

दिखलाई न दूँ ये ग़ैर-मुमकिन
कुछ आप की मैं कमर नहीं हूँ

बेहाल कहे न जाने दूँगा
आशिक़ हूँ नामा-बर नहीं हूँ