भूल जाओगे तुम अगर मुझ को
कौन देगा मिरी ख़बर मुझ को
मर्तबा चाहता हूँ कुछ मैं भी
ऐ मोहब्बत तबाह कर मुझ को
जो मुझे एक दिन में भूल गया
याद आएगा उम्र-भर मुझ को
ऐ शब-ए-ग़म कोई तो आहट कर
काट खाएगा मेरा घर मुझ को
मैं तिरे दिल का एक हिस्सा हूँ
अपने अंदर तलाश कर मुझ को
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ग़ज़ल
भूल जाओगे तुम अगर मुझ को
नदीम फर्रुख