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भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे | शाही शायरी
bhuk chehron pe liye chand se pyare bachche

ग़ज़ल

भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे

बेदिल हैदरी

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भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे
बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुब्बारे बच्चे

इन हवाओं से तो बारूद की बू आती है
इन फ़ज़ाओं में तो मर जाएँगे सारे बच्चे

क्या भरोसा है समुंदर का ख़ुदा ख़ैर करे
सीपियाँ चुनने गए हैं मिरे सारे बच्चे

हो गया चर्ख़-ए-सितमगर का कलेजा ठंडा
मर गए प्यास से दरिया के किनारे बच्चे

ये ज़रूरी है नए कल की ज़मानत दी जाए
वर्ना सड़कों पे निकल आएँगे सारे बच्चे