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भटकें हैं आप के लिए तन्हा कहाँ कहाँ | शाही शायरी
bhaTken hain aap ke liye tanha kahan kahan

ग़ज़ल

भटकें हैं आप के लिए तन्हा कहाँ कहाँ

तरुणा मिश्रा

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भटकें हैं आप के लिए तन्हा कहाँ कहाँ
पूछो न हम ने आप को ढूँडा कहाँ कहाँ

दिल तोड़ने के बअ'द फिर आ कर तो देखते
छाले कहाँ हैं और है पीड़ा कहाँ कहाँ

आँखों में कल्पना में कभी दिल के सहन में
हरजाई सा लगा है वो आया कहाँ कहाँ

छाया तो था सुलगती फ़ज़ाओं में वो मगर
मालूम ही न हो सका बरसा कहाँ कहाँ

डरते रही हमेशा बताने से दिल के राज़
मेरे दयार-ए-दिल में वो उतरा कहाँ कहाँ

'तरुणा' वो दोस्त था मिरा प्यारा भी था मगर
काटा उसी ने ही मिरा पत्ता कहाँ कहाँ