बेवफ़ाई से वफ़ाओं का सिला मत देना
बद-दुआ' देने से अच्छा है दुआ मत देना
तोहमतें आप के दामन से लिपट सकती हैं
आग जब सुलगी हुई हो तो हवा मत देना
गुल खिला सकता है आवारा-ख़याली का सफ़र
ज़ेहन-ए-हस्सास को ख़ुशबू का पता मत देना
जिन से मंसूब है तारीख़ रवादारी की
आँधियो ऐसे दरख़्तों को गिरा मत देना
जो मकाँ लम्स-शनासी का हुनर जानते हैं
उन को दस्तक की ज़रूरत है सदा मत देना
मुझ को सादात की निस्बत के सबब मेरे ख़ुदा
आजिज़ी देना तकब्बुर की अदा मत देना
ग़ज़ल
बेवफ़ाई से वफ़ाओं का सिला मत देना
सीन शीन आलम