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बेवफ़ाई से वफ़ाओं का सिला मत देना | शाही शायरी
bewafai se wafaon ka sila mat dena

ग़ज़ल

बेवफ़ाई से वफ़ाओं का सिला मत देना

सीन शीन आलम

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बेवफ़ाई से वफ़ाओं का सिला मत देना
बद-दुआ' देने से अच्छा है दुआ मत देना

तोहमतें आप के दामन से लिपट सकती हैं
आग जब सुलगी हुई हो तो हवा मत देना

गुल खिला सकता है आवारा-ख़याली का सफ़र
ज़ेहन-ए-हस्सास को ख़ुशबू का पता मत देना

जिन से मंसूब है तारीख़ रवादारी की
आँधियो ऐसे दरख़्तों को गिरा मत देना

जो मकाँ लम्स-शनासी का हुनर जानते हैं
उन को दस्तक की ज़रूरत है सदा मत देना

मुझ को सादात की निस्बत के सबब मेरे ख़ुदा
आजिज़ी देना तकब्बुर की अदा मत देना