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बे-कराँ दश्त-ए-बे-सदा मेरे | शाही शायरी
be-karan dasht-e-be-sada mere

ग़ज़ल

बे-कराँ दश्त-ए-बे-सदा मेरे

ज़ेब ग़ौरी

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बे-कराँ दश्त-ए-बे-सदा मेरे
आ खुले बाज़ुओं में आ मेरे

साफ़-शफ़्फ़ाफ़ सब्ज़ फ़र्श तिरा
गर्द-आलूदा दस्त ओ पा मेरे

सरकश ओ सर-बुलंद बाम तिरा
सर-निगूँ शहपर-ए-हवा मेरे

बे-सुतूँ ख़ेमा-ए-सबात तिरा
महव-ए-सहरा नुक़ूश-ए-पा मेरे

शब-ए-हिज्राँ कि ला-ज़वाल तिरी
ग़म कि आमादा-ए-फ़ना मेरे

दश्त ओ दरिया सभी ख़मोश हुए
ज़मज़मा-संज ओ हम-नवा मेरे

मैं पयम्बर तिरा नहीं लेकिन
मुझ से भी बात कर ख़ुदा मेरे

एक इक तारा जानता है मुझे
हैं सभी 'ज़ेब' आश्ना मेरे