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बताओ तो तुम्हें कैसी लगी है | शाही शायरी
batao to tumhein kaisi lagi hai

ग़ज़ल

बताओ तो तुम्हें कैसी लगी है

सय्यदा अरशिया हक़

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बताओ तो तुम्हें कैसी लगी है
मिरे माथे पे जो बिंदी लगी है

सभी शोहदे इकट्ठा हो गए हैं
यहाँ क्या हुस्न की मंडी लगी है

बरहमन-ज़ाद हूँ ये ध्यान रखना
सुना है फिर कोई अच्छी लगी है

यक़ीं कर लो मिरे हाथों में अब तक
तुम्हारे नाम की मेहंदी लगी है