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बताएँ क्या कि कितना जानते हैं | शाही शायरी
bataen kya ki kitna jaante hain

ग़ज़ल

बताएँ क्या कि कितना जानते हैं

आसिफ़ अमान सैफ़ी

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बताएँ क्या कि कितना जानते हैं
तुम्हें तुम से ज़ियादा जानते हैं

ख़मोशी से अयाँ होता है उन की
वो अपनी बात कहना जानते हैं

बहुत पढ़ कर हुआ ये इल्म हम को
कि हम कितना ज़रा सा जनते हैं

क़लम काग़ज़ हमारे शेर और तुम
उसे हम अपनी दुनिया जानते हैं

हम आ जाते हैं अक्सर अपने आगे
मगर हम बच निकलना जानते हैं

पता है रूठने वाले को 'आसिफ़'
कि हम रिश्ते निभाना जानते हैं