बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
Tis difficult that every goal be easily complete
For a man, too, to be human, is no easy feat
गिर्या चाहे है ख़राबी मिरे काशाने की
दर ओ दीवार से टपके है बयाबाँ होना
My tears seek destruction of my humble abode
My hearth and home relentlessly does wilderness erode
वा-ए-दीवानगी-ए-शौक़ कि हर दम मुझ को
आप जाना उधर और आप ही हैराँ होना
Such is desire's lunacy, I constantly repair
To her street, even tho it leads me to despair
जल्वा अज़-बस-कि तक़ाज़ा-ए-निगह करता है
जौहर-ए-आइना भी चाहे है मिज़्गाँ होना
Beauty does yet seek behold the favour of a glance
The lustre of the mirror seeks to be a lash perchance
इशरत-ए-क़त्ल-गह-ए-अहल-ए-तमन्ना मत पूछ
ईद-ए-नज़्ज़ारा है शमशीर का उर्यां होना
Ask not the delight of those for martyrdom who wait
Unsheathing of the sword for them is cause to celebrate
ले गए ख़ाक में हम दाग़-ए-तमन्ना-ए-नशात
तू हो और आप ब-सद-रंग-ए-गुलिस्ताँ होना
With me into dust I took the scars of hopes forlorn
Now in your splendour joyously the garden you adorn
इशरत-ए-पारा-ए-दिल ज़ख़्म-ए-तमन्ना खाना
लज़्ज़त-ए-रीश-ए-जिगर ग़र्क़-ए-नमक-दाँ होना
When the heart is wounded does its ecstacy exalt
Fortitude is filled with joy when wounds are dipped in salt
की मिरे क़त्ल के बा'द उस ने जफ़ा से तौबा
हाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशेमाँ होना
After she had slain me then from torture she forswore
Alas! the one now quickly shamed was not so before
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत 'ग़ालिब'
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना
Ghalib alas! That piece of cloth for whom destiny
Has ordained a fate that it, a lover's collar be
ग़ज़ल
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
मिर्ज़ा ग़ालिब