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बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा | शाही शायरी
barbaad-e-mohabbat ki dua sath liye ja

ग़ज़ल

बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा

साहिर लुधियानवी

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बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
टूटा हुआ इक़रार-ए-वफ़ा साथ लिए जा

इक दिल था जो पहले ही तुझे सौंप दिया था
ये जान भी ऐ जान-ए-अदा साथ लिए जा

तपती हुई राहों से तुझे आँच न पहुँचे
दीवानों के अश्कों की घटा साथ लिए जा

शामिल है मिरा ख़ून-ए-जिगर तेरी हिना में
ये कम हो तो अब ख़ून-ए-वफ़ा साथ लिए जा

हम जुर्म-ए-मोहब्बत की सज़ा पाएँगे तन्हा
जो तुझ से हुई हो वो ख़ता साथ लिए जा