बराबर से बच कर गुज़र जाने वाले
ये नाले नहीं बे-असर जाने वाले
नहीं जानते कुछ कि जाना कहाँ है
चले जा रहे हैं मगर जाने वाले
मिरे दिल की बेताबियाँ भी लिए जा
दबे पाँव मुँह फेर कर जाने वाले
तिरे इक इशारे पे साकित खड़े हैं
नहीं कह के सब से गुज़र जाने वाले
मोहब्बत में हम तो जिए हैं जिएँगे
वो होंगे कोई और मर जाने वाले
ग़ज़ल
बराबर से बच कर गुज़र जाने वाले
जिगर मुरादाबादी