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बंदा पुतला ख़ता का होता है | शाही शायरी
banda putla KHata ka hota hai

ग़ज़ल

बंदा पुतला ख़ता का होता है

इब्न-ए-उम्मीद

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बंदा पुतला ख़ता का होता है
मसअला तो अना का होता है

वही मस्तूल ढीला करते हैं
जिन पे तकिया बला का होता है

हम यूँही ख़्वाब बुनते रहते हैं
खेल सारा क़ज़ा का होता है

सोख़्ता तन की राख पर शायद
ज़ुल्म बाक़ी हवा का होता है

जिस को शबनम मिले न हिस्से की
फूल वो अध-खिला सा होता है