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बहुत शिद्दत से जो क़ाएम हुआ था | शाही शायरी
bahut shiddat se jo qaem hua tha

ग़ज़ल

बहुत शिद्दत से जो क़ाएम हुआ था

नदीम भाभा

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बहुत शिद्दत से जो क़ाएम हुआ था
वो रिश्ता हम में शायद झूट का था

मोहब्बत ने अकेला कर दिया है
मैं अपनी ज़ात में इक क़ाफ़िला था

मिरी आँखों में बारिश की घुटन थी
तुम्हारे पाँव बादल चूमता था

तुम्हारी ही गली का वाक़िआ है
मैं पहली बार जब तन्हा हुआ था

खुजूरों के दरख़्तों से भी ऊँचा
मिरे दिल में तुम्हारा मर्तबा था

फिर इस के ब'अद रस्ते मर गए थे
मैं बस इक साँस लेने को रुका था