EN اردو
बहाऊँगा न मैं आँसू न मुस्कराउँगा | शाही शायरी
bahaunga na main aansu na muskuraunga

ग़ज़ल

बहाऊँगा न मैं आँसू न मुस्कराउँगा

तैमूर हसन

;

बहाऊँगा न मैं आँसू न मुस्कराउँगा
ख़मोश रह के सलीक़े से ग़म मनाऊँगा

करूँगा काम वही जो दिया गया है मुझे
में ख़्वाब देखूँगा और ख़्वाब ही दिखाऊँगा

अधूरी बात भी पूरी समझनी होगी तुम्हें
मैं कुछ बताऊँगा और कुछ नहीं बताऊँगा

मैं आज तक नहीं माना हूँ तेरी दुनिया को
तू मान जाए तो मैं उस को मान जाऊँगा

इसी सवाल ने सोने नहीं दिया शब भर
तू मुझ से पूछेगा क्या और मैं क्या बताऊँगा

तिरी कहानी में रक्खूँगा ख़ुद को कुछ ऐसे
मैं दास्ताँ में नई दास्ताँ बनाऊँगा

ये मस्लहत है मिरी बुज़-दिली नहीं 'तैमूर'
जहाँ ज़रूरी हुआ हौसला दिखाऊँगा