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बड़े सलीक़े से तोड़ा मिरा यक़ीन उस ने | शाही शायरी
baDe saliqe se toDa mera yaqin usne

ग़ज़ल

बड़े सलीक़े से तोड़ा मिरा यक़ीन उस ने

ज़िया ज़मीर

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बड़े सलीक़े से तोड़ा मिरा यक़ीन उस ने
कि नाम अपने ही कर ली है सब ज़मीन उस ने

तबाह शहर को पहले किया फिर इस के बअ'द
हमारे शहर में भेजे तमाश-बीन उस ने

निभेगा कैसे तअ'ल्लुक़ समझ नहीं आता
अना की डोर रखी है बहुत महीन उस ने

ख़ुदा बना के हमें पूजने लगा था वो
बहुत ख़राब किया है हमारा दीन उस ने

ज़हीन लड़की है वो जिस के इश्क़ में हम हैं
बना दिया है हमें भी बहुत ज़हीन उस ने