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बड़ा है दुख सो हासिल है ये आसानी मुझे | शाही शायरी
baDa hai dukh so hasil hai ye aasani mujhe

ग़ज़ल

बड़ा है दुख सो हासिल है ये आसानी मुझे

शारिक़ कैफ़ी

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बड़ा है दुख सो हासिल है ये आसानी मुझे
कि हिम्मत ही नहीं कुछ याद करने की मुझे

चला आता है चुपके से रज़ाई में मिरी
बुरी लगती है सूरज की ये बेबाकी मुझे

छुपाता फिर रहा हूँ ख़ुद को मैं किस से यहाँ
अगर पहचानने वाला नहीं कोई मुझे

गुज़र जाएगी सारी ज़िंदगी उम्मीद में
न जीने देगी ये जीने की तय्यारी मुझे

अगर कम बोलता हूँ मैं तो क्यूँ बेचैन हो
तुम्हीं से तो लगी है चुप की बीमारी मुझे

अचानक कुछ हुआ होता तो कोई बात थी
न जाने क्यूँ हुई इस दर्जा हैरानी मुझे