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बचपन के हैं ख़्वाब सुहाने तितली फूल और मैं | शाही शायरी
bachpan ke hain KHwab suhane titli phul aur main

ग़ज़ल

बचपन के हैं ख़्वाब सुहाने तितली फूल और मैं

असलम फ़ैज़ी

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बचपन के हैं ख़्वाब सुहाने तितली फूल और मैं
कहाँ से लाएँ अब वो ज़माने तितली फूल और मैं

नफ़रत से है नफ़रत हम को प्रीत हमारी रीत
प्यार के हैं अनमोल ख़ज़ाने तितली फूल और मैं

दर्द रुतों की ख़ुशबू साँझी एक ही जैसा रोग
ढूँड रहे हैं साथ पुराने तितली फूल और मैं

जीवन-राह में कौन कहाँ पर बिछड़े क्या मालूम
मिल लेते हैं किसी बहाने तितली फूल और मैं

चाँद सितारे ख़ुशबू शबनम सब्ज़ा रंग हवा
क़ुदरत के रंगीन फ़साने तितली फूल और मैं