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बातें न किस ने हम को कहीं तेरे वास्ते | शाही शायरी
baaten na kis ne hum ko kahin tere waste

ग़ज़ल

बातें न किस ने हम को कहीं तेरे वास्ते

ऐश देहलवी

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बातें न किस ने हम को कहीं तेरे वास्ते
और हम ने भी न किस की सहीं तेरे वास्ते

हैरान दर-ब-दर पड़े फिरते हैं रात दिन
ख़ुर्शीद ओ माह ज़ोहरा-जबीं तेरे वास्ते

सीमाब ओ बर्क़ ओ शोला-ए-जव्वाला और ये दिल
बेताब उन में कौन नहीं तेरे वास्ते

हम ने तिरी तलाश में ऐ बर्क़-वश किया
याँ एक आसमान ओ ज़मीं तेरे वास्ते

शब सोज़-ए-ग़म से शम्अ-सिफ़त बे-क़रारियाँ
क्या क्या न मेरे दिल को रहीं तेरे वास्ते

तू ज़ेब-ए-बज़्म-ए-ग़ैर रहा और मैं यहाँ
भटका फिरा कहीं का कहीं तेरे वास्ते

ये नाले वो हैं याद रहे तू न गर मिला
पहुँचेंगे ता-ब अर्श-ए-बरीं तेरे वास्ते

कुछ और इख़्तिलाफ़ का बाइस नहीं फ़क़त
आलम में है चुनाँ-ओ-चुनीं तेरे वास्ते

फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा से याद रहे 'ऐश' नेमतें
मौजूद होंगी देख यहीं तेरे वास्ते