बात ये है सदा नहीं होता
कोई अच्छा बुरा नहीं होता
क़र्ज़ है और फिर हमारा दिल
आदतों से जुदा नहीं होता
दूसरा आदमी तो दोज़ख़ है
मैं कभी दूसरा नहीं होता
इतना मानूस हूँ मैं दुनिया से
कोई पल हो गिला नहीं होता
नींद क्यूँ ज़िंदगी से डरती है
और सूरज सिला नहीं होता
ऐश-ओ-आराम तेरे बारे में
मैं ने देखा सुना नहीं होता
ग़ज़ल
बात ये है सदा नहीं होता
जावेद नासिर