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बात सच-मुच में निराली हो गई | शाही शायरी
baat sach-much mein nirali ho gai

ग़ज़ल

बात सच-मुच में निराली हो गई

नीरज गोस्वामी

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बात सच-मुच में निराली हो गई
अब नसीहत एक गाली हो गई

ये असर हम पर हुआ इस दौर का
भावना दिल की मवाली हो गई

डाल दीं भूके को जिस में रोटियाँ
वह समझ पूजा की थाली हो गई

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा सवाली हो गई

क़ैद का इतना मज़ा मत लीजिए
रो पड़ेंगे गर बहाली हो गई

इक अमावस ही तो थी अपनी हयात
मिल गए तुम तो दिवाली हो गई

हाथ में क़ातिल के 'नीरज' फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई