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बात साक़ी की न टाली जाएगी | शाही शायरी
baat saqi ki na Tali jaegi

ग़ज़ल

बात साक़ी की न टाली जाएगी

जलील मानिकपूरी

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बात साक़ी की न टाली जाएगी
कर के तौबा तोड़ डाली जाएगी

वो सँवरते हैं मुझे इस की है फ़िक्र
आरज़ू किस की निकाली जाएगी

दिल लिया पहली नज़र में आप ने
अब अदा कोई न ख़ाली जाएगी

आते आते आएगा उन को ख़याल
जाते जाते बे-ख़याली जाएगी

क्या कहूँ दिल तोड़ते हैं किस लिए
आरज़ू शायद निकाली जाएगी

गर्मी-ए-नज़्ज़ारा-बाज़ी का है शौक़
बाग़ से नर्गिस निकाली जाएगी

देखते हैं ग़ौर से मेरी शबीह
शायद उस में जान डाली जाएगी

ऐ तमन्ना तुझ को रो लूँ शाम-ए-वस्ल
आज तू दिल से निकाली जाएगी

फ़स्ल-ए-गुल आई जुनूँ उछला 'जलील'
अब तबीअ'त कुछ सँभाली जाएगी