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बात कोई एक पल उस के ध्यान के आने की थी | शाही शायरी
baat koi ek pal uske dhyan ke aane ki thi

ग़ज़ल

बात कोई एक पल उस के ध्यान के आने की थी

शाहिदा हसन

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बात कोई एक पल उस के ध्यान के आने की थी
फिर ये मीठी नींद उस के ज़हर बन जाने की थी

आँख हो ओझल तो फिर कोहसार भी ओझल हैं सब
इक यही सूरत तिरे दुख दर्द बहलाने की थी

दूर तक फैले हुए पानी पे नाव थी कहाँ
ये कहानी आइनों पर अक्स लहराने की थी

ढूँढती थीं शाम का पहला सितारा लड़कियाँ
खेल क्या था बस ये इक ख़्वाहिश कहीं जाने की थी

दस्तकें देता था अक्सर शाम का ठंडा चराग़
और ये दस्तक किसी के लौट कर आने की थी