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बात जो तुझ से ज़बानी हो गई | शाही शायरी
baat jo tujhse zabani ho gai

ग़ज़ल

बात जो तुझ से ज़बानी हो गई

आदिल हयात

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बात जो तुझ से ज़बानी हो गई
कुछ हक़ीक़त कुछ कहानी हो गई

बे-सबब फिरती नहीं है राह में
शहर की लड़की सियानी हो गई

रात फिर पागल हवा के शोर में
ज़ीस्त मेरी दास्तानी हो गई

रोज़ कहते हैं मगर कहते नहीं
ज़िंदगी अपनी कहानी हो गई

बात अपने शहर की कुछ तो कहो
क़ातिलों की पासबानी हो गई

किस लिए बे-कैफ़ हो 'आदिल'-हयात
ख़त्म क्या सारी कहानी हो गई