EN اردو
बाक़ी सब कुछ फ़ानी है | शाही शायरी
baqi sab kuchh fani hai

ग़ज़ल

बाक़ी सब कुछ फ़ानी है

तारिक़ राशीद दरवेश

;

बाक़ी सब कुछ फ़ानी है
एक वही लाफ़ानी है

सुनते रहते हैं हम सब
दुनिया एक कहानी है

शर्म-ओ-हया सब क़िस्से हैं
सूखा आँख का पानी है

शो'ला नहीं शबनम भी नहीं
बस बे-रंग जवानी है

नग़्मा कोई छेड़ो 'दरवेश'
महफ़िल महफ़िल वीरानी है