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बाग़मती के पास ही कोई एरौत गाँव है | शाही शायरी
baghmati ke pas hi koi eraut ganw hai

ग़ज़ल

बाग़मती के पास ही कोई एरौत गाँव है

त्रिपुरारि

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बाग़मती के पास ही कोई एरौत गाँव है
जन्म मिरा वहीं हुआ वो ही तो एक ठाँव है

डेट थी चार मार्च और साल था वो छियासी का
पाक सी इस ज़मीन पर मैं ने रखा जो पाँव है

लोग वहाँ पे ऐसे हैं जैसे नदी का नीर हो
लोग कुछ ऐसे भी हैं जो बात करो तो दाँव है

गाँव में कुछ दरख़्त हैं और उदास औरतें
वो जो उदास औरतें हैं वो ही अस्ल छाँव है

गाँव के एक छोर पर लाश मिरी है जल रही
पास ही एक पेड़ पर काग की काँव काँव है