बा-वफ़ा कोई कोई होता है
मैं भी था कोई कोई होता है
क़द्र कर मेरी क़द्र कर ज़ालिम
दिल-जला कोई कोई होता है
इब्न-ए-आदम के रोग बहुतेरे
ला-दवा कोई कोई होता है
कौन ज़ालिम नहीं ज़माने में
आप सा कोई कोई होता है
दिल में काहे न चोर घर करते
दर भी वा कोई कोई होता है
जिस तरह हम हैं आप के सरकार
ब-ख़ुदा कोई कोई होता है
सब का होता है दर्द कोई न कोई
दर्द का कोई कोई होता है
आइना आप आइना-बीं आप
देखना कोई कोई होता है
यूँ तो क़ातिल हैं अन-गिनत 'राहील'
आश्ना कोई कोई होता है

ग़ज़ल
बा-वफ़ा कोई कोई होता है
राहील फ़ारूक़