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बा-वफ़ा कोई कोई होता है | शाही शायरी
ba-wafa koi koi hota hai

ग़ज़ल

बा-वफ़ा कोई कोई होता है

राहील फ़ारूक़

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बा-वफ़ा कोई कोई होता है
मैं भी था कोई कोई होता है

क़द्र कर मेरी क़द्र कर ज़ालिम
दिल-जला कोई कोई होता है

इब्न-ए-आदम के रोग बहुतेरे
ला-दवा कोई कोई होता है

कौन ज़ालिम नहीं ज़माने में
आप सा कोई कोई होता है

दिल में काहे न चोर घर करते
दर भी वा कोई कोई होता है

जिस तरह हम हैं आप के सरकार
ब-ख़ुदा कोई कोई होता है

सब का होता है दर्द कोई न कोई
दर्द का कोई कोई होता है

आइना आप आइना-बीं आप
देखना कोई कोई होता है

यूँ तो क़ातिल हैं अन-गिनत 'राहील'
आश्ना कोई कोई होता है