अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहीं
मस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
हासिल-ए-इश्क़ ब-जुज़ ख़ातिर-ए-नाशाद नहीं
ये ग़नीमत है कि मेहनत मिरी बर्बाद नहीं
ऐ मिरी क़ैद तमन्ना के बढ़ाने वाले
ग़ैर-महदूद तिरे हुस्न की मीआद नहीं
बज़्म-ए-अफ़्साना करो ख़त्म जवानी गुज़री
क़ाबिल-ए-ज़िक्र अब आगे कोई रूदाद नहीं
मौत है रूह की मेराज तो फिर ऐ 'सीमाब'
ये उलू है मिरी दानिस्त में उफ़्ताद नहीं
ग़ज़ल
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहीं
सीमाब अकबराबादी