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औरों की तरह से अब न टालो | शाही शायरी
auron ki tarah se ab na Talo

ग़ज़ल

औरों की तरह से अब न टालो

नवाब सुलेमान शिकोह

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औरों की तरह से अब न टालो
हम को अपने गले लगा लो

गाली न दिया करो किसी को
बस बस अपनी ज़बाँ सँभालो

ग़ुर्फ़े में से झाँक पास अपने
ग़ैरों को हँसी-ख़ुशी बुला लो

और हम से हज़ार हैफ़ प्यारे
मुँह को शर्मा के यूँ छुपा लो

है क़ाफ़िला उम्र का रवाना
रख़्त अपना मुसाफ़िरो सँभालो

बुत-ख़ाने की राह को 'सुलैमान'
छोड़ो तुम और रह-ए-ख़ुदा लो