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और तो कुछ नहीं किया होगा | शाही शायरी
aur to kuchh nahin kiya hoga

ग़ज़ल

और तो कुछ नहीं किया होगा

फ़ैसल फेहमी

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और तो कुछ नहीं किया होगा
मैं ने फिर मौत को जिया होगा

उस के सागर से लब लगाए थे
उस ने इक घूँट तो पिया होगा

आज बुलबुल ने उस चमेली से
जाने क्या कान में कहा होगा

एक बाक़ी चराग़ था अच्छा
उस को तुम ने बुझा दिया होगा

कुछ दिनों क़ब्ल तक नया था मैं
अब जो है आज-कल नया होगा