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अश्क-ए-ग़म शोरिश-ए-पिन्हाँ की ख़बर देते हैं | शाही शायरी
ashk-e-gham shorish-e-pinhan ki KHabar dete hain

ग़ज़ल

अश्क-ए-ग़म शोरिश-ए-पिन्हाँ की ख़बर देते हैं

मोहम्मद मंशाउर्रहमान ख़ाँ मंशा

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अश्क-ए-ग़म शोरिश-ए-पिन्हाँ की ख़बर देते हैं
ये वो क़तरे हैं जो तूफ़ाँ की ख़बर देते हैं

क़ल्ब-ए-सोज़ाँ में शब-ओ-रोज़ मचलते जज़्बात
गर्मी-ए-शौक़-ए-फ़रावाँ की ख़बर देते हैं

इन सिसकते हुए ग़ुंचों को हिक़ारत से न देख
ये तुझे नज़्म-ए-गुलिस्ताँ की ख़बर देते हैं

तेरे मय-ख़ाने के दम तोड़ते आएँ साक़ी
किसी तग़ईर-ए-नुमायाँ की ख़बर देते हैं

वो उफ़ुक़ पर जो उजाले से नज़र आते हैं
आमद-ए-सुब्ह-ए-दरख़्शाँ की ख़बर देते हैं

सेहन-ए-गुलशन में ब-हर-आन बदलते हुए रंग
इक नए दौर-ए-बहाराँ की ख़बर देते हैं

हक़ तो ये है कि ख़लाओं के सफ़र ऐ 'मंशा'
अज़मत-ए-रुत्बा-ए-इंसाँ की ख़बर देते हैं