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अक़्ल कितनी शुऊ'र कितना है | शाही शायरी
aql kitni shuur kitna hai

ग़ज़ल

अक़्ल कितनी शुऊ'र कितना है

डॉक्टर आज़म

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अक़्ल कितनी शुऊ'र कितना है
फिर भी तुझ को ग़ुरूर कितना है

हर कोई तुझ से दूर कितना है
इस में तेरा क़ुसूर कितना है

मीठी मीठी तुम्हारी बातों के
पस-ए-पर्दा फ़ुतूर कितना है

हम को तौफ़ीक़ ही नहीं होती
घर तिरा वर्ना दूर कितना है

ये तो अहल-ए-जुनूँ ही जानते हैं
होश-ए-तहत-ए-शुऊर कितना है

सत्र-दर-सत्र पढ़ने वाले देख
क़िस्सा बैनस्सुतूर कितना है

दाग़ है माथे पर मगर 'आज़म'
उस के चेहरे पे नूर कितना है