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अपनी सूरत पे भी नज़र रखिए | शाही शायरी
apni surat pe bhi nazar rakhiye

ग़ज़ल

अपनी सूरत पे भी नज़र रखिए

मधु गुप्ता

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अपनी सूरत पे भी नज़र रखिए
आइना हाथ में अगर रखिए

आप पर जाँ निसार कर दें सब
बात बस ऐसी पुर-असर रखिए

इक ना इक दिन ये काम आयेगा
हाथ में अपने कुछ हुनर रखिए

प्यार कोई हँसी या खेल नहीं
आप पत्थर सा फिर जिगर रखिए

छाँव उन की बड़ी ही शीतल है
घर में बूढ़ा भी इक शजर रखिए