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अपने सब यार काम कर रहे हैं | शाही शायरी
apne sab yar kaam kar rahe hain

ग़ज़ल

अपने सब यार काम कर रहे हैं

जौन एलिया

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अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं

तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं

दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँ
हम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं

हम हैं मसरूफ़-ए-इंतिज़ाम मगर
जाने क्या इंतिज़ाम कर रहे हैं

है वो बेचारगी का हाल कि हम
हर किसी को सलाम कर रहे हैं

एक क़त्ताला चाहिए हम को
हम ये एलान-ए-आम कर रहे हैं

क्या भला साग़र-ए-सिफ़ाल कि हम
नाफ़-प्याले को जाम कर रहे हैं

हम तो आए थे अर्ज़-ए-मतलब को
और वो एहतिराम कर रहे हैं

न उठे आह का धुआँ भी कि वो
कू-ए-दिल में ख़िराम कर रहे हैं

उस के होंटों पे रख के होंट अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं

हम अजब हैं कि उस के कूचे में
बे-सबब धूम-धाम कर रहे हैं