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अपने ख़ूँ का उन पे क्यूँ दा'वा किया | शाही शायरी
apne KHun ka un pe kyun dawa kiya

ग़ज़ल

अपने ख़ूँ का उन पे क्यूँ दा'वा किया

शाग़िल क़ादरी

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अपने ख़ूँ का उन पे क्यूँ दा'वा किया
ऐ दिल-ए-नादाँ ये तू ने क्या किया

बरहमी मुझ से भला मेरा क़ुसूर
अश्क-ए-ग़म ने इश्क़ को रुस्वा किया

किस ने छेड़ा ये मन-ओ-तू का सवाल
किस ने एहसास-ए-दुई पैदा किया

जान-लेवा उस की है आज़ुर्दगी
जान कर उस ने सितम ऐसा किया

ग़ैर भी हँसते हैं मेरे हाल पर
सोचिए तो आप ने क्या क्या किया

हो उसे सूद-ओ-ज़ियाँ की फ़िक्र क्यूँ
जिस ने तेरे इश्क़ का सौदा किया

आप का ग़म है शरीक-ए-'क़ादरी'
आप ने जो कुछ किया अच्छा किया