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अपने जानान को ऐ जान इसी जान में ढूँढ | शाही शायरी
apne jaanan ko ai jaan isi jaan mein DhunDh

ग़ज़ल

अपने जानान को ऐ जान इसी जान में ढूँढ

क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी

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अपने जानान को ऐ जान इसी जान में ढूँढ
ढूँढ मत और जगह पर दिल-ए-हैरान में ढूँढ

ढूँढना उस का बहुत सहल बताया है फ़क़ीर
जान में अपनी उसे लूँगा मैं इक आन में ढूँढ

जिस तरफ़ देखो उसी का है झमकड़ा वल्लाह
तालिब अल्लाह का लेता है हर इक शान में ढूँढ

चाहने वाले का ख़ुद आप चहीता है वो
मह-ए-कनआँ' को लिया था चह-ए-कनआन में ढूँढ

ज़ाहिरा देख सुख़न-फ़हम सुख़न 'आफ़रीदी'
ग़ैर-मख़्लूक़ सुख़न मा'नी-ए-क़ुरआन में ढूँढ