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अपने घर पर बुला लिया उस ने | शाही शायरी
apne ghar par bula liya usne

ग़ज़ल

अपने घर पर बुला लिया उस ने

तौक़ीर अहमद

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अपने घर पर बुला लिया उस ने
दीप सारे बुझा दिया उस ने

चाँदनी सी बिखर गई हर-सू
रुख़ से पर्दा हटा दिया उस ने

खो गया उस की मस्त आँखों में
ऐसे नज़रें मिला लिया उस ने

रख के गोदी में सर मेरा अपनी
दिल की धड़कन बढ़ा दिया उस ने

क्यूँ न हो नाज़ अपनी क़िस्मत पर
मुझ को अपना बना लिया उस ने

वक़्त-ए-रुख़्सत नमी थी आँखों में
हाथ फिर भी हिला दिया उस ने

लौट कर आऊँगा मैं फिर एक दिन
व'अदा मुझ से करा लिया उस ने

गुम है 'तौक़ीर' उस की यादों में
जाम-ए-उल्फ़त पिला दिया उस ने