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अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ | शाही शायरी
apna dil pesh karun apni wafa pesh karun

ग़ज़ल

अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ

साहिर लुधियानवी

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अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ

तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ

मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ

जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ