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अंजुमन-ए-बहार में नाज़-ए-बुताँ की बात कर | शाही शायरी
anjuman-e-bahaar mein naz-e-butan ki baat kar

ग़ज़ल

अंजुमन-ए-बहार में नाज़-ए-बुताँ की बात कर

प्रेम शंकर गोयला फ़रहत

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अंजुमन-ए-बहार में नाज़-ए-बुताँ की बात कर
लुत्फ़-ए-ख़िराम साक़ी-ओ-सर्व-ए-रवाँ की बात कर

शैख़-ए-हरम का ज़िक्र क्या देख उमँड चली घटा
साक़ी-ए-नौ-बहार की पीर-ए-मुग़ाँ की बात कर

ज़ोहद-ओ-वरा का वास्ता जू-ए-तहूर की क़सम
आज किसी के दीदा-ए-बादा-फ़िशाँ की बात कर

तौबा की आज फ़ातिहा पढ़ने चले हैं बादा-कश
अब्र सियाह-पोश है रत्ल-ए-गिराँ की बात कर