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अम्न-क़रियों की शफ़क़-फ़ाम सुनहरी चिड़ियाँ | शाही शायरी
amn-qariyon ki shafaq-fam sunahri chiDiyan

ग़ज़ल

अम्न-क़रियों की शफ़क़-फ़ाम सुनहरी चिड़ियाँ

अली अकबर नातिक़

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अम्न-क़रियों की शफ़क़-फ़ाम सुनहरी चिड़ियाँ
मेरे खेतों में उड़ीं शाम सुनहरी चिड़ियाँ

नारियाँ दिल के मज़ाफ़ात में उतरीं आ कर
हू-ब-हू जैसे सर-ए-बाम सुनहरी चिड़ियाँ

मेरे उस्लूब में कहती हैं फ़साने गुल के
चुहलें करती हैं मिरे नाम सुनहरी चिड़ियाँ

कच्ची उम्रों के शरीरों को सलामी मेरी
जिन के अतराफ़ बुनें दाम सुनहरी चिड़ियाँ

गुल खिलाती है उसी शख़्स की साँसों की महक
जिस के गावों में बहुत आम सुनहरी चिड़ियाँ