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अली-बिन-मुत्तक़ी रोया | शाही शायरी
ali-bin-muttaqi roya

ग़ज़ल

अली-बिन-मुत्तक़ी रोया

राजेन्द्र मनचंदा बानी

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अली-बिन-मुत्तक़ी रोया
वही चुप था वही रोया

अजब आशोब-ए-इरफ़ाँ में
फ़ज़ा गुम भी कि जी रोया

यक़ीं मिस्मार मौसम का
खंडर ख़ुद से तही रोया

अज़ाँ ज़ीना उतर आई
सुकूत-ए-बातिनी रोया

ख़ला हर ज़ात के अंदर
सुना जिस ने वही रोया

नदी पानी बहुत रोई
अक़ीदा रौशनी रोया

सहर-दम कौन रोता है
अली-बिन-मुत्तक़ी रोया