EN اردو
अक्स-ए-गुल हूँ कि नक़्श-ए-हैरत हूँ | शाही शायरी
aks-e-gul hun ki naqsh-e-hairat hun

ग़ज़ल

अक्स-ए-गुल हूँ कि नक़्श-ए-हैरत हूँ

ख़ुर्शीद रब्बानी

;

अक्स-ए-गुल हूँ कि नक़्श-ए-हैरत हूँ
आइने मैं तिरी ज़रूरत हूँ

गूँजता हूँ दिलों के गुम्बद में
एक आवाज़ा-ए-मोहब्बत हूँ

ना-रसाई मिरा मुक़द्दर है
ज़ेर-ए-लब इक बयान-ए-हसरत हूँ

दिल-ए-आसूदा है वतन मेरा
मैं तमन्ना-ए-दश्त-ए-ग़ुरबत हूँ

मैं हूँ इक पैकर-ए-ख़याल-ओ-ख़्वाब
और कितनी बड़ी हक़ीक़त हूँ

गरचे मैं हर्फ़-ए-ख़ाक हूँ 'ख़ुर्शीद'
फिर भी ज़ेब-ए-किताब-ए-फ़ितरत हूँ