अक्स-दर-अक्स तमाशा क्या है
आइना आइना झूटा क्या है
कोई आता कोई जाता क्या है
रात और दिन का तमाशा क्या है
जिस तरह आप गए चुपके से
कोई दुनिया से यूँ जाता क्या है
माना दुनिया है बड़ी ख़ूब बड़ी
दिल की बस्ती से कुशादा क्या है
ये तह-ए-ख़ाक है कैसा महशर
कोई मज़लूम तड़पता क्या है
मोर फिर नाच रहे हैं हर-सू
गीत झरना कोई गाता क्या है
मेरी मुट्ठी में है फिर भी 'सैफ़ी'
मेरी मुट्ठी में ज़माना क्या है
ग़ज़ल
अक्स-दर-अक्स तमाशा क्या है
मुनीर सैफ़ी