अजब सी बद-हवासी छा रही है
मिरे दिल से उदासी जा रही है
मिरे अंदर कोई नाराज़ लड़की
मिरी हर पेश-कश ठुकरा रही है
मुझे क्या ज़िंदगी से लेना-देना
मुझे क्यूँ ज़िंदगी उलझा रही है
मिरे एहसास भी वापस कर इन में
मेरे ख़त जो मुझे लौटा रही है
तिरे जाने से ऐ जान-ए-तमन्ना
तमन्ना की तमन्ना जा रही है
ग़ज़ल
अजब सी बद-हवासी छा रही है
सुनील कुमार जश्न