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ऐसी क्या थीं इताब की बातें | शाही शायरी
aisi kya thin itab ki baaten

ग़ज़ल

ऐसी क्या थीं इताब की बातें

मिर्ज़ा मायल देहलवी

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ऐसी क्या थीं इताब की बातें
मैं तो कहता था ख़्वाब की बातें

कुछ ग़ज़ब हो रही हैं आरिज़ से
ज़ुल्फ़-ए-पुर-पेच-ओ-ताब की बातें

बे-हिजाबी में क्या ग़ज़ब होगा
जब ये कुछ हैं हिजाब की बातें

सर मिरा और निशान-ए-पा-ए-अदू
देखना इज़्तिराब की बातें

एक हज़रत हैं आप भी 'माइल'
सुन चुका हूँ जनाब की बातें