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ऐश के जलसे हुजूम आलाम के | शाही शायरी
aish ke jalse hujum aalam ke

ग़ज़ल

ऐश के जलसे हुजूम आलाम के

इस्माइल मेरठी

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ऐश के जलसे हुजूम आलाम के
शोबदे हैं गर्दिश-ए-अय्याम के

हिम्मत-ए-मर्दाना तुझ को आफ़रीं
कर के छोड़ा सर हुए जिस काम के

सुब्ह के भूले तो आए शाम को
देखिए कब आएँ भूले शाम के

तू ही कर तकलीफ़ ओ पैक-ए-सबा
मुंतज़िर हैं वो मिरे पैग़ाम के

हाशा लिल्लाह मय-कदे के कासे लें
मो'तक़िद हूँ ज़ाहिद-ए-उल्लाम के

मिट गई है दिल से आज़ादी की याद
कितने ख़ूगर हो गए हम दाम के

अब तो चर्चे जा-ब-जा होने लगे
वाइज़ों की बाँग-ए-बे-हंगाम के