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ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू | शाही शायरी
ai yar nasihat ko agar gosh kare tu

ग़ज़ल

ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू

फ़ाएज़ देहलवी

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ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू
ये तौर-ओ-तरीक़ अपने फ़रामोश करे तू

दीवाने सियाने हुएँ सब देख तुझ अँखियाँ
इक चश्म की गर्दिश सेती बेहोश करे तू

ऐ सर्व-चमाँ आवे अगर मेरी बग़ल में
जन्नत का चमन ख़ाना-ए-आग़ोश करे तू

हूराँ न करें ख़ुल्द के गुलबुन का नज़ारा
जब सीम-बदन अपने को गुल-पोश करे तू

इस 'फ़ाएज़'-ए-बेचारे की तब क़द्र पछाने
इक जाम मोहब्बत का अगर नोश करे तू