ऐ मुसव्विर सूरत-ए-दिल-गीर खींच
ले हमारा रंग भर तस्वीर खींच
ग़र्क़-ए-साग़र कर ख़ुमार-ए-ज़िंदगी
ता-ख़त-ए-बादा ख़त-ए-तक़्दीर खींच
ले चली है मुझ को सहरा की कशिश
चारा-गर ले अब मिरी ज़ंजीर खींच
खींचता हूँ दामन-ए-दिलबर को मैं
ऐ दुआ तू दामन-ए-तासीर खींच
है ये 'नातिक़' जल्वा-ए-हुस्न-ए-सुख़न
शेर जब लिक्खे तो इक तस्वीर खींच
ग़ज़ल
ऐ मुसव्विर सूरत-ए-दिल-गीर खींच
नातिक़ गुलावठी