ऐ मुसव्विर जो मिरी तस्वीर खींच 
हसरत-आगीं ग़म-ज़दा दिल-गीर खींच 
जज़्ब भी कुछ ऐ तसव्वुर चाहिए 
ख़ुद खिंचे जिस शोख़ की तस्वीर खींच 
ऐ मोहब्बत दाग़-ए-दिल मुरझा न जाएँ 
इत्र इन फूलों का बे-ताख़ीर खींच 
आ बुतों में देख ज़ाहिद शान-ए-हक़ 
दैर में चल नारा-ए-तकबीर खींच 
एक साग़र पी के बूढ़ा हो जवान 
वो शराब ऐ मय-कदे के पैर खींच 
दिल न उस बुत का दुखे कहता है इश्क़ 
खींच जो नाला वो बे-तासीर खींच 
दिल इधर बेताब है तरकश उधर 
खींचता हूँ आह मैं तू तीर खींच 
कुछ तो काम आ हिज्र में ओ इज़्तिराब 
शोख़ी-ए-महबूब की तस्वीर खींच 
क़ैस से दश्त-ए-जुनूँ में कह 'जलाल' 
आगे आगे चल मिरे ज़ंजीर खींच
        ग़ज़ल
ऐ मुसव्विर जो मिरी तस्वीर खींच
जलाल लखनवी

