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ऐ दोस्त तलत्तुफ़ सीं मिरे हाल कूँ आ देख | शाही शायरी
ai dost talattuf sin mere haal kun aa dekh

ग़ज़ल

ऐ दोस्त तलत्तुफ़ सीं मिरे हाल कूँ आ देख

सिराज औरंगाबादी

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ऐ दोस्त तलत्तुफ़ सीं मिरे हाल कूँ आ देख
सीने की अगन मेहर के पानी सीं बुझा देख

सादिक़ हूँ मुझे बुल-हवस ऐ जान तूँ मत जान
शमशीर-ए-तग़ाफ़ुल दिल-ए-ज़ख़्मी पे चला देख

प्यासा हूँ तिरी तेग़ के पानी का हर इक दम
बावर नहीं ये बात तो यक-बार पिला देख

मुझ आह की गर्मी सीं झड़े फूल चमन के
ऐ सर्व-ए-गुलिस्तान-ए-अदा बाग़ में जा देख

बंदा हूँ तिरा ख़्वाह करम ख़्वाह जफ़ा कर
जिस तर्ज़ तिरे शौक़ में हुए मुझ कूँ जला देख

नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान
है तुझ कूँ अगर शुबह तो कस देख तपा देख

तुझ लब के तबस्सुम में है एजाज़-ए-मसीहा
ऐ जान-ए-'सिराज' इस दिल-ए-बे-जाँ कूँ जला देख