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ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा | शाही शायरी
ai do-jahan ke malik aala hai nam tera

ग़ज़ल

ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा

अनीसा बेगम

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ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा
पर दिल की बस्तियों में देखा मक़ाम तेरा

मौक़ूफ़ कब है जिन्न-ओ-इंस-ओ-मलाइका पर
ताइर भी नाम लेते हैं सुब्ह-ओ-शाम तेरा

तख़सीस ने'मतों में अबरार की नहीं कुछ
अशरार पर भी हर-दम है लुत्फ़-ए-आम तेरा

हद हो गई कि तेरे महबूब की ज़बाँ से
हम ख़ाकियों को पहुँचा यारब पयाम तेरा

तू पर्दा-दार-ए-शब है तो ख़ालिक़-ए-सहर है
ख़ुर्शीद-ए-चर्ख़ क्या है अदना ग़ुलाम तेरा

सब कुछ मिटा चुकी हूँ इस आरज़ू पे यारब
हो जाए लौह-ए-दिल पर मनक़ूश नाम तेरा